Ramayana in slightly
modern set up
Written in Hindi
BY
Sasasnk Tiwari
Translated by
P.R.Ramachander
Kausalya
Produced a son called
Ramachandra today,
In hospital
there a procession and then the
dancing started,
There were three
more sons, Bharatha, Lakshmana and
Sathrugna,
The city of
Ayodhya rose up to dancing, there was a competition for joy,
All sons became
big and they reached the school,
Till inter the Mobiles
were kept very far off,
At Graduation , Id for
facebook was made for them,
Hanuman became a
friend and mother Sita elder brother’s wife,
The play for wealth
was made in to a play
by Kaikeyi,
Ram went to live in forest, and Bharath became
the king,
After giving a
message to Dasaradha, Sri Ram
started his journey,
Along with him were
mother Sita and brother
whose name was Lakshman,
The Lord got
the friend request
of Soorpanakha ,
And on this matter
, Sita became very angry,
Ramachandra in his anger
started on a tour,
Ravana took
advantage, and took away mother to
far off place,
When he did not
get reply , Rama reached his hut,
And because
Lakshmana was chatting with
Urmila, he forgot all job,
Lakshmana got
bombardment and then the search
started,
Due to absence of signal ., GPS was loose,
And at this time, he had a meeting
with Sugreeva,
Since both their
sorrows were similar, they became together,
Bali had stinged him and handed him over to police,
Sugreeva was
expelled causing him years of sorrow,
Seeing Hanuman,
the lord saluted him,
With tears in his
eyes, son of wind became worried,
In Lanka the net work
had not developed,
And because of that
darling’s phone was switched off,
And how can
he talk with her?
The Lord did not
get worried and said that Ravan will die,
This war will
come to an end and then we will
install a tower there,
Hanuman stood up and went and gave him the sim of reliance,
Mother phoned to
the lord, and both were engaged in talk,
Ravan’s rowdies
caught Hanuman,
And lit fire to his tail, That gentleman got jolted,
And he immediately did Swaha, that
worship which will make others sleep,
Ravana was
greatly depressed as to how he will
repay his loan,
After returning
back, he told all news to Rama,
Rama told Öh friends, clean your weapons,
Is bow and arrow sufficient, What will happen to atom bomb,
From the time Lanka was burnt, Ravana became very poor,
The entire army marched, Lanka will fall today,
Sugreeva and the Lucky Hanuman started shouting loudly,
And seeing the winning army, Lakshmana was enthused,
And then he saw the message, by the arrow he fell faint,
Hanuman stood up and went, near Babaji,
And by the use roots and medicines , Lakshmana stood up,
At that time Rama
sent an arrow, Ravan fell down on the floor,
And then the lord said, I am giving pardon and that
action you did was an Error,
In the status of Rama there was a change M with , My love,
With my one hit, all enemies are dead,
After coming back, Sita reached her home,
All the people lit the lamp and honoured them,
Seeing from the sky
“Sasank “(the author) asked for a boon,
I surrender my
luster to the feet of the lord, let
there never be a fatigue
30-6-2017
Sasank Tiwari
रामायण
कौसल्या ने पुत्र जना , रामचन्द्र ही आज
अस्पताल बारात हुई , शुरू हो गया नाच
अस्पताल बारात हुई , शुरू हो गया नाच
भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण , पुत्र तीन थे और
पूरी अयोध्या नाच उठी , खुशियों का था दौर
पूरी अयोध्या नाच उठी , खुशियों का था दौर
पुत्र सभी बड़े हुए , पहुँचे अब स्कूल
इंटर तक रखा गया , मोबाइल से दूर
इंटर तक रखा गया , मोबाइल से दूर
ग्रेजुएशन में बनाई , फेसबुक पर आयडी
हनुमान दोस्त हुए , सीता मैय्या भाभी
हनुमान दोस्त हुए , सीता मैय्या भाभी
सम्पत्ति के खेल को , खेल गयी कैकेय
राम जायें वनवास को , राजा भरत ही होय
राम जायें वनवास को , राजा भरत ही होय
दसरथ को मैसेज कर , निकल पड़े श्रीराम
साथ में सीता माँ और , भाई था लक्ष्मण नाम
साथ में सीता माँ और , भाई था लक्ष्मण नाम
शूपर्णखा की फ्रेंड रिक्वेस्ट , आई प्रभु के पास
इसी बात पर हो गयी , सीता जी नाराज
इसी बात पर हो गयी , सीता जी नाराज
राम चन्द्र गुस्से में , निकल गए एक टूर
रावण ने फायदा उठा , ले गया माँ को दूर
रावण ने फायदा उठा , ले गया माँ को दूर
रिप्लाई जब ना मिला , कुटिया पहुँचे राम
लक्ष्मण चैटिंग विद उर्मिला , भूले सारे काम
लक्ष्मण चैटिंग विद उर्मिला , भूले सारे काम
डांट खाई प्रभु राम की , शुरू हुई तब ख़ोज
सिग्नल के अभाव में , जीपीएस था लूज़
सिग्नल के अभाव में , जीपीएस था लूज़
इसी बीच सुग्रीव से , हुई एक मुलाकात
दोनों के दुःख एक से , हो गए दोनों साथ
दोनों के दुःख एक से , हो गए दोनों साथ
बाली का स्टिंग किया ,किया पुलिस के हाथ
दूर किया सुग्रीव का , बरसों का सन्ताप
दूर किया सुग्रीव का , बरसों का सन्ताप
हनुमान को देख कर , प्रभु ने किया प्रनाम
आँख में आँसू पाय के , पवनसुत परेशान
आँख में आँसू पाय के , पवनसुत परेशान
लंका में नेटवर्क का , नही हुआ विकास
बन्द है प्रिय का फोन , होवे कैसे बात
बन्द है प्रिय का फोन , होवे कैसे बात
परेशान प्रभु हो नही , मरेगा वो रावण
खत्म होगा ये युद्ध जब , लगेंगें वहाँ टावर
खत्म होगा ये युद्ध जब , लगेंगें वहाँ टावर
हनुमान उड़के गए , दिया रिलायंस का सिम
माँ ने प्रभु को फोन किया , दोनों बातों में गुम
माँ ने प्रभु को फोन किया , दोनों बातों में गुम
रावण के गुर्गों ने , पकड़ा श्री हनुमान
आग लगाई पूँछ पर , बिफर गए श्रीमान
आग लगाई पूँछ पर , बिफर गए श्रीमान
स्वाहा किया तुरन्त ही , सोने का वह होम
रावण डिप्रेशन गया , कैसे भरेगा लोन
रावण डिप्रेशन गया , कैसे भरेगा लोन
वापस आकर राम को , बता दिया सब हाल
राम ने बोला मित्रगण , साफ करो हथियार
राम ने बोला मित्रगण , साफ करो हथियार
धनुष बाण काफी है , क्या होगा परमाणु
लंका जब से जल गयी , रावण है कंगाल
लंका जब से जल गयी , रावण है कंगाल
पूरी सेना चल पड़ी , लंका फतह को आज
सुग्रीव लकी हनुमान , करते ऊँची आवाज़
सुग्रीव लकी हनुमान , करते ऊँची आवाज़
जीतती सेना देख कर , लक्ष्मण इन उत्साह
देख रहे मेसेज तभी , बाण से आई मुरछा
देख रहे मेसेज तभी , बाण से आई मुरछा
हनुमान उड़ कर गए , बाबा जी के पास
जड़ी बूटी के लेप से , लक्ष्मण खड़े थे आज
जड़ी बूटी के लेप से , लक्ष्मण खड़े थे आज
राम ने मारा बाण तब , रावण गिरा जमीन
बोला प्रभु माफ़ी दियो , कृत्य गलत था कीन
बोला प्रभु माफ़ी दियो , कृत्य गलत था कीन
राम के स्टेटस में , आई एम विद माय लव
मेरे एक प्रहार से , मर गए दुश्मन सब
मेरे एक प्रहार से , मर गए दुश्मन सब
वापस पाकर सीता , पहुँचे अपने धाम
पूरी प्रजा दीप जलाकर , करती है सम्मान
पूरी प्रजा दीप जलाकर , करती है सम्मान
आसमान से देख के , वर माँगे " शशांक "
अर्पित चमक प्रभु चरण , न हो कभी थकान !!!
अर्पित चमक प्रभु चरण , न हो कभी थकान !!!
तारीख: 30.06.2017 शशांक तिवारी
No comments:
Post a Comment