Mother - A poem in
Hindi
By
Kusum
Translated by
P.R.Ramachander
हमारे हर मर्ज
की दवा होती
है माँ….
कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ…..
हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ…..
अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ……
कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ…..
हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ…..
अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ……
Mother is the medicine
for all our problems,
She some times chides us but she also some times
hugs us,
She takes
away the tears in our eyes and merges in tears of her eyes,
She returns back
the smile of our lips.
हमारी खुशियोँ मेँ शामिल होकर, अपने गम भुला देती है माँ….
जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है माँ…..
दुनिया की तपिश में, हमें आँचल की शीतल छाया देती है माँ…..
खुद चाहे कितनी थकी हो, हमें देखकर अपनी थकान भूल जाती है माँ…
प्यार भरे हाथोँ
से, हमेशा हमारी
थकान मिटाती है
माँ…..
BY mingling with our joy
mother forgets all
her sorrow,
When we get a
beating some times, we immediately remember
our mother,
IN the heat of
this world , mother gives us cool
shade of her upper cloth,
Though she herself is tired , seeing us, she will forget
about her tiredness,
And using her
hands filled with love she always
used to remove our tiredness.
बात जब भी हो लजीज खाने की, तो हमें याद आती है माँ……
रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ…….
लब्जोँ मेँ जिसे बयाँ नहीँ किया जा सके ऐसी होती है माँ…….
भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैँ
Whenever there is a talk of eating Lazeez, Oh mother I
remember you,
mOther teaches us
how to manage well the beauty of relationship,
Mother is one who cannot be weaved in any
laboratory,
And before whom even God bends
in salutation
– कुसुम
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