The Thought of
mother
माँ का एहसास
BY
Kanchan Pandeya , GURUSANDI
MIRZAPUR UTTAR PRADESH
Translated by
P.R.Ramachander
(Hindi text
is given at the end)
The thought of a mother
I had a very sweet thought,
When you came in
to my lap,
My life has become
complete,
When you came in
to my lap,
All my sufferings
have come to an end,
And the essence of
ego has woken up,
And in my eyes the
shade of desire fell,
When you came in
to my lap,
I got a new name,
A new form
blossomed up in my life,
In the autumn I came again out ,
When you came in to my lap
When I first time saw you
,
When I first time kissed you,
My mind became
extremely happy,
When you first time came in to my lap
Just like the
drowning one getting a hold,
Just like an
Orphan getting a help,
That thought
came in to my mind,
When you first time came in to my lap
When I first g
heard your prattle ,
When I first saw your beauty ,
Some thing like a
foam rose in my mind
When you first time came in to my lap
At present
the only desire I have ,
You become so
capable ,
My would
celebarate my luck ,
For the facet that
you played on my lap.
माँ का एहसास
मीठा एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
पूर्ण हो गया जीवन मेरा
जब गोद में आयी तुम मेरे
सारी पीडा़ दूर हो गयी
रुह की ममता जाग गयी
नैनो में एक आशा छायी
जब गोद में आयी तुम मेरे
नया एक अब नाम मिला
नया रुप जीवन में खिला
पतझड़ में फिर से बहार आयी
जब गोद में आयी तुम मेरे
देखा जब पहली बार तुझे
चुँमा जब पहली बार तुझे
दिल अति आनन्दित हो गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
डुबते को जैसे किनारा मिले
अनाथ को जैसे सहारा मिले
वो एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
सुनी जब तेरी किलकारी
देखी जब तेरी मनुहारी
दिल में उमंग सा छा गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
आशीष यही अब है मेरी
काबिलियत हो तुममे इतनी
इतराऊँ भाग्य पर मै अपनी
कि गोद में खेली तुम मेरे
– कंचन पाण्डेय GURUSANDI MIRZAPUR UTTAR PRADESH
मीठा एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
पूर्ण हो गया जीवन मेरा
जब गोद में आयी तुम मेरे
सारी पीडा़ दूर हो गयी
रुह की ममता जाग गयी
नैनो में एक आशा छायी
जब गोद में आयी तुम मेरे
नया एक अब नाम मिला
नया रुप जीवन में खिला
पतझड़ में फिर से बहार आयी
जब गोद में आयी तुम मेरे
देखा जब पहली बार तुझे
चुँमा जब पहली बार तुझे
दिल अति आनन्दित हो गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
डुबते को जैसे किनारा मिले
अनाथ को जैसे सहारा मिले
वो एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
सुनी जब तेरी किलकारी
देखी जब तेरी मनुहारी
दिल में उमंग सा छा गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
आशीष यही अब है मेरी
काबिलियत हो तुममे इतनी
इतराऊँ भाग्य पर मै अपनी
कि गोद में खेली तुम मेरे
– कंचन पाण्डेय GURUSANDI MIRZAPUR UTTAR PRADESH
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